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एनटीपीसी तलाईपल्ली कोल माइंस में संविदाकर्मियों का फूटा गुस्सा — मजदूर हितों की अनदेखी पर हड़ताल की चेतावनी!

रायगढ़। घरघोड़ा एनटीपीसी कोल माइंस प्रोजेक्ट, तलाईपल्ली में कार्यरत संविदाकर्मियों ने मजदूर हितों की अनदेखी और पूर्व में दिए गए पत्र पर कोई कार्यवाही न होने के खिलाफ तीखी नाराजगी जताई है। संविदाकर्मियों ने परियोजना प्रमुख को पुनः स्मरण पत्र सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि अगले तीन दिवस के भीतर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करने पर विवश होंगे।
संविदाकर्मियों का कहना है कि वे Contract Labour (Regulation & Abolition) Act, 1970 तथा Factories Act, 1948 / Mines Act, 1952 के तहत कार्य कर रहे हैं, परंतु उन्हें न तो समान कार्य के लिए समान वेतन मिल रहा है और न ही आवश्यक भत्तों एवं सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है।
15 अक्टूबर 2025 को मजदूरों ने एक लिखित पत्र के माध्यम से एनटीपीसी प्रबंधन को तीन मुख्य मांगें प्रस्तुत की थीं — 1. संविदाकर्मियों को स्थायी कर्मचारियों की तरह HRA, Communication Allowance एवं Conveyance Allowance का लाभ मिले। 2. सभी ठेका कंपनियों का एकीकरण (One Site – One Contract) कर पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित की जाए। 3. Maintenance Contract की अवधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष की जाए, ताकि श्रमिकों को स्थायित्व एवं सामाजिक सुरक्षा मिल सके।
मजदूरों का आरोप है कि पत्र प्रेषण के बाद सात दिन बीत जाने के बावजूद एनटीपीसी प्रशासन ने न तो कोई जवाब दिया, न कोई कार्रवाई की। यह स्थिति Contract Labour Act, 1970 की धारा 21 के उल्लंघन के समान है, जिसमें नियोक्ता को समय पर सूचना देना और श्रमिक हितों की रक्षा करना अनिवार्य बताया गया है।
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि प्रबंधन ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो संविदाकर्मी Factories Act, 1948 की धारा 111-A (Workers’ Right to Representation) के अंतर्गत अपने अधिकारों की रक्षा हेतु आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
इधर, संविदाकर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद राधेश्याम राठिया (लोकसभा क्षेत्र – रायगढ़) से भी मिला और परियोजना से जुड़े मुद्दों की विस्तृत जानकारी उन्हें सौंपी। सांसद राठिया ने मजदूरों की समस्याओं को गंभीर बताते हुए कहा कि वे मामले की जानकारी संबंधित मंत्रालय और प्रबंधन स्तर तक पहुँचाएंगे। इस मुलाकात के बाद अब यह प्रकरण राजनीतिक हलचल भी पैदा करने लगा है।
संविदाकर्मियों ने स्पष्ट कहा है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो हड़ताल से होने वाली उत्पादनगत हानि और प्रशासनिक अव्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी एनटीपीसी प्रबंधन की होगी।

Saroj Shriwas

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