छत्तीसगढ़रायगढ़

खंडहर में तब्दील छुहीपाली का स्कूल, बच्चों की शिक्षा पर संकट छत से टपकता पानी, दिवाल पे दरारें और एक कमरे में सिमटी तीन कक्षाएं

रायगढ़। विकासखंड की ग्राम पंचायत छुहीपाली स्थित शासकीय माध्यमिक शाला बदहाली की मार झेल रही है। छठवीं से आठवीं तक की कक्षाएं अब महज़ एक कमरे में संचालित हो रही हैं। स्कूल की छत से लगातार पानी टपकता है, दीवारें दरक चुकी हैं और हर पल छत गिरने का डर बच्चों और शिक्षकों को घेरे रहता है।

जहां शिक्षा को बच्चों का मौलिक अधिकार बताया गया है, वहीं छुहीपाली गांव में यह अधिकार खतरे में नज़र आ रहा है। तीन कक्षाएं एक ही जर्जर कमरे में चल रही हैं, जहां ना पर्याप्त रोशनी है, ना हवा, और ना ही बैठने की समुचित व्यवस्था। स्थिति इतनी गंभीर है कि बच्चों की पढ़ाई से ज़्यादा उनकी सुरक्षा अब प्राथमिक चिंता बन गई है।

स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि स्कूल भवन की मरम्मत की मांग वर्षों से लंबित है। कई बार ग्रामसभा में प्रस्ताव भी रखा गया, लेकिन सरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा निरीक्षण के बाद मरम्मत की बात स्वीकार की गई थी, फिर भी आज तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ।

शिक्षक भी असहाय

विद्यालय में पदस्थ शिक्षक चिंतित हैं। शिक्षक दिनेश पंडा ने बताया कि एक कमरे में तीन कक्षाओं को पढ़ाना संभव नहीं है। यहां वर्तमान में 35 छात्र छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। एक प्रधान पाठक सहित चार शिक्षक पदस्थ हैं।शोर, भीड़ और जगह की कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना तो दूर, बच्चों को सुरक्षित रखना ही चुनौती बन गया है।

सरकार के दावों पर सवाल

एक ओर सरकार ‘स्कूल चले हम अभियान’ और ‘नवोदय मॉडल स्कूल’ जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर छुहीपाली जैसे गांव ज़मीनी हकीकत को उजागर कर रहे हैं, जहां शिक्षा खंडहरों में दम तोड़ रही है। बघेल सरकार के समय भवन निर्माण हेतु लगभग 5 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे किंतु वह भी लेप्स हो गया और निर्माण नहीं हो सा सका । इस संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि राशि बहुत ही कम होने के कारण निर्माण कार्य लेने में कोई सहमत नहीं हुए ।

ग्रामीणों की अपील

गांव के लोगों ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि स्कूल भवन का तत्काल पुनर्निर्माण कराया जाए और बच्चों की पढ़ाई एवं सुरक्षा दोनों सुनिश्चित की जाए। अन्यथा मजबूरन बच्चों को पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी, जो पूरे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।

Saroj Shriwas

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