
घरघोड़ा में जुए का बोलबाला… आखिर किसके इशारे पर चल रहा है ये गोरखधंधा?
रायगढ़। घरघोड़ा थाना क्षेत्र में इन दिनों जुए के नाम पर रथयात्रा का माहौल है, लेकिन भक्ति और आस्था के इस पर्व को कुछ लोग जुए के अड्डे में बदल चुके हैं। रथयात्रा और मेले की चकाचौंध के बीच खुडखुड़िया की महफिल सज जाती हैं। खेल चल रहा है, दांव लग रहे हैं… और पुलिस? मानो आंखों पर पट्टी बांधे बैठी हो!
कई जगहों पर बाकायदा जुए के फड़ सजते हैं, जहां हजारों-लाखों के दांव लगाए जाते हैं। यह सब किसी छोटे-मोटे संरक्षण में नहीं, बल्कि बड़े हाथों के इशारे पर हो रहा है। सवाल उठता है कि घरघोड़ा की धरती पर कानून का डंडा आखिर किसके लिए है? आम जनता के लिए… या इन अवैध कारोबारियों के लिए छूट का पास बन गया है?
गांव के बुजुर्ग और सामाजिक संगठनों का कहना है कि रथयात्रा एक धार्मिक परंपरा है, जिसका उद्देश्य समाज को जोड़ना और आस्था को बढ़ाना है, लेकिन इसमें जुए जैसे काम घुस आए तो आने वाली पीढ़ी को गलत रास्ते पर धकेलने में देर नहीं लगेगी। कई परिवार पहले ही इस चक्कर में बर्बाद हो चुके हैं।
लोगों ने जिला प्रशासन और पुलिस कप्तान से सीधी मांग की है—या तो जुए के इन अड्डों पर तुरंत ताला लगे, या फिर साफ कर दें कि प्रशासन की नीयत क्या है। क्योंकि अगर यही चलता रहा, तो घरघोड़ा की पहचान भक्ति नहीं, बल्कि जुए के अड्डों से होने लगेगी।