
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक महिला की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने अपनी बच्ची की कस्टडी की मांग की थी। कोर्ट ने बच्ची की इच्छा को प्राथमिकता देते हुए कहा कि वह अपनी दादी के साथ रहना चाहती है और इसके लिए बाल कल्याण समिति ने भी सिफारिश की थी।
मामले में बच्ची के पिता की असामयिक मौत के बाद वह अपनी दादी के साथ रहने लगी थी। मां ने जून 2024 में बच्ची की कस्टडी के लिए आवेदन दिया था, लेकिन बच्ची ने साफ कर दिया कि वह अपनी दादी के साथ ही रहना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे का सर्वांगीण विकास सबसे महत्वपूर्ण है और बच्ची की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उसे दादी के साथ रहने देना ही उचित होगा।
इस मामले में बच्ची के माता-पिता का तलाक 2015 में हुआ था, जिसके बाद बच्ची की कस्टडी मां को सौंपी गई थी। लेकिन 2018 में बच्ची के एथलीट बनने की चाह को ध्यान में रखते हुए सहमति बनी कि वह अपने पिता के साथ रहेगी।
अप्रैल 2024 में, पिता ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का प्रयास किया, लेकिन इस दौरान उनकी असामयिक मौत हो गई। इसके बाद बच्ची को बाल आरक्षक नियुक्त किया गया और वह अपनी दादी के साथ रहने लगी। मां की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान एसपी ने शपथ पत्र देकर बताया कि बच्ची अपने पिता के साथ रहती थी और अब वह दादी के पास रह रही है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए मां की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्चे का सर्वांगीण विकास सबसे महत्वपूर्ण है, और बच्ची की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उसे दादी के साथ रहने देना ही उचित होगा।